उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एक दलित दरोगा ने ब्रह्मभोज आयोजित करने पर एक ब्राह्मण परिवार पर क्रूरता की हदें पार कर दी, दलित दरोगा ने राम राम बोलने पर मुहं में जूता डाला और कहा की राम राम नहीं जय भीम बोल, आर्मी जवान समेत कई ब्राह्मणों की चमड़ी भी उधेडी और ये भी कहा की मैं पुलिस में ब्राह्मणों और क्षत्रियों को ठीक करने के लिए ही भर्ती हुआ हूँ
इस पुलिस दरोगा का नाम है रमेश कुमार, ये गाजीपुर के नूरपुर स्थित हालत थाने का दरोगा है, सेना के एक जवान ने अपनी माता का श्राद्ध आयोजित किया था, श्राद्ध में ब्रह्मभोज आयोजित किया गया था
दरोगा रमेश कुमार ने इसी के चलते सैनिक और उसके परिवार के कई लोगो को थाने में बंद कर दिया और थाने में सबको बुरी तरह मारा, इनकी चमडियाँ उधेड़ दी, दर्द से जब पीड़ितों ने राम राम बोला तो दलित दरोगा और भड़क गया और बोला की "सालों राम राम नहीं जय भीम बोलो, मैं तुम ब्राह्मणों, क्षत्रियों को ठीक करने के लिए ही पुलिस में भर्ती हुआ हूँ"
पिटाई से पीड़ितों कि चमड़ी तक उधड़ गई। वहीं जातिवाद की धुन में पागल यह दरोगा सिर्फ इतने तक ही नहीं रुका बल्कि इसने झूठे आरोपों में चालान कर परिवार के 9 पीड़ितों को जेल भेज दिया। हमने जब पीड़ितों की तस्वीरें देखी तो हमारी भी रूह काँप गयी। भला कौन पुलिस वाला इतना क्रूरता बरत सकता है। वहीं मेडिकल कराने की बजाये पीड़ितों को जेल भेज दिया गया।
किसी तरह पीड़ितों ने कोर्ट से जमानत हासिल करी। जमानत हासिल करने के बाद भी जब पीड़ितों ने FIR दर्ज कराने के लिए थाने का रुख किया तो माँ बहन की गालिया बकते हुए बेइज्जत करके व झूठे मुक़दमे में फ़साने की धमकी देते हुए उन्हें थाने से भगा दिया गया।
पीड़ितों में सबसे अधिक गंभीर हालत सुशील पांडेय की हैं जो देश की देवा में हर वक़्त तैनात रहते हैं। इसके अलावा इनके भाई संबधी भी सरकारी नौकरी में ही तैनात हैं जिन्हे भी बुरी तरह पीटा गया हैं।
दरअसल घर में पीड़ितों की बड़ी माता माया देवी का 15 जुलाई को निधन हो गया था जिसके बाद 27 जुलाई को आत्मा की शांति के लिए उनका श्राद्ध होना था। श्राद्ध के दौरान पीड़ित के सगे सम्बन्धी भी पीड़ित के घर पहुंचे थे। लेकिन 26 जुलाई को शाम 6 बजे के करीब जब पीड़ित सुशील पांडेय, कमल पांडेय, अविनाश पांडेय, निर्भय पांडेय, इंद्रजीत पाण्डेय व विशाल पांडेय श्राद्ध में आने वालो के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहे थे तभी सादी वर्दी में थाना प्रभारी रमेश कुमार राम अपने अन्य साथी सूरज बिंद, विनोद यादव, कृष्णानंद यादव, राम कृष्ण मुजवा व अन्य 6 लोगो के साथ वहां पंहुचा था।
ज्ञात होकि जातिवाद से भरे थाना प्रभारी ने एक भी उच्च वर्ग से आने वाले पुलिस कर्मी को इसमें शामिल नहीं किया था। उसकी पूरी टीम ही उसकी जातिवादी सोच का भरा उदाहरण हैं।
जिसके बाद थाना प्रभारी ने झूठा आरोप मढ़ते हुए कहा कि मा#$%चो%$ तुम लोग घर में झनकू पांडेय को छुपा कर बैठे हो। जिसपर घर के लोगो सबसे पहले तमीज में बात करने की बाते कही। बस इतना कहते ही थानाप्रभारी ने ललकारते हुए अपने साथियो से कहा कि साले इन भिखारी ब्राह्मणो कि आज हड्डिया तोड़ दो। जिसके बाद सभी पुलिसकर्मियो ने मिलकर लाठी डंडो व बन्दुक के कुन्दा से मारना पीटना शुरू कर दिया। जिसके बाद कई लोग बचने के लिए घर में घुस गए।
वहीं पुलिसकर्मियो ने घर में घुसकर पीड़ितों को मारना पीटना व घर में सभी सामानो को तोडना शुरू कर दिया। पीड़ितों कि चीखे सुनकर गाँव के लोग इक्खट्टा हो गए तो पुलिसकर्मी उन्हें गाड़ी में भरकर थाने ले गए जहां मानव क्रूरता की सभी हदे पार कर दी गई। पीड़ितों को रात भर थाने में पीटा गया। चीख पुकार मचने पर उन्होंने उनके मुँह पर मुक्के मारने भी शुरू कर दिए। पिटाई से जब पीड़ितों पूरा बदन छील गया तो पीड़ित रोते हुए राम राम करने लगे। राम राम सुनते ही थाना प्रभारी और भड़क गया।
Scary. As per this complaint by a Brahmin caste family, local thana head Ramesh Kumar got them thrashed for organising Brahmbhoj at home, asked them to say Jai Bhim instead of Ram Ram and told them - main tum Brahmin Thakur ko theek karne aya hun https://t.co/XX34MWrnvt— Swati Goel Sharma (@swati_gs) August 1, 2020
उसने अपने जूते को पीड़ितों को मुँह में भरते हुए कहा कि राम राम नहीं भीम भीम बोलो, मैं तुम जैसे ब्राह्मण ठाकुरो को ही सबक सीखाने पुलिस में भर्ती हुआ हु”। पिटाई से पूरी तरह बेसुध हो जाने पर भी इन जातिवादी पुलिसकर्मियो का दिल नहीं पसीजा तो इन्होने झूठे मुक़दमे में चालान कर 9 बुरी तरह घायल लोगो को जेल भेज दिया।
वहीं अभी तक पीड़ितों की FIR दर्ज नहीं करी गयी हैं और न ही मुजरिम दरोगा रमेश कुमार व अन्य पुलिस कर्मियों की कोई गिरफ्तारी की गयी हैं।
वहीं पुलिस की इस बर्बरता के कारण हिन्दू धर्म का सबसे महत्ववपूर्ण संस्कार श्राद्ध नहीं हो पाया जो अपने आप में किसी बड़े जुर्म से कम नहीं हैं। पीड़ितों पर इस समय क्या गुजर रही होगी उसका हम एक प्रतिशत भी अंदाजा नहीं लगा सकते हैं।
पीड़ितों की तस्वीरें देख कर साफ़ लग रहा हैं कि पिटाई का मंजर कितना भयावह रहा होगा। आप सोचकर देखिये अगर ऐसा बर्ताव पुलिस आपसे करेगी तो कब तक अमेरिका की तर्ज पर लोग जॉर्ज फ्लॉयड जैसा आंदोलन करने से बचेंगे।