ये हर राष्ट्रवादी भारतीय का सपना है की कैलाश पर्वत को चीन से मुक्त करवाया जाये, नेहरु ने एक तरह से कैलाश पर्वत चीन को गिफ्ट कर दिया था, चीन ने 1962 मेंकैलाश पर्वत पर पूरी तरह कब्ज़ा कर लिया था और उसका कब्ज़ा अबतक बरक़रार है
लद्दाख से कैलाश पर्वत का इलाका 450 किलोमीटर का है, और अब भारत की सेना ने इन 450 किलोमीटर के इलाके में से 60-70 किलोमीटर के इलाके को चीन से मुक्त करवा लिया है
भारतीय सेना ने कैलाश पहाड़ियों के 60-70 किलोमीटर के इलाके पर अपना कब्ज़ा कर लिया है, ये कब्ज़ा चीन के पास था और यहाँ चीनी सेना तैनात थी, जानकारी सामने आई है की अब 60-70 किलोमीटर के इलाके पर भारतीय सेना तैनात है
1962 से पहले कैलाश पर्वत पर लद्दाख की ओर से भी जाया जाता था, ये कैलाश पर्वत जाने का पुराना रास्ता था और इस रस्ते पर 1962 से ही चीन का कब्ज़ा था, अब लद्दाख में इस रास्ते को भारतीय सेना ने चीन से मुक्त करवा लिया है
Kailash ranges stretch from holy Mount Kailash in Tibet till south of Pangong Tso lake including Rechin La, Mukhpari, Gurung Hills & Magar hills about 450 kms
— Neeraj Rajput (@neeraj_rajput) September 12, 2020
In pre-'62 war era Indian pilgrims used to visit Kailash Mansarovar from Ladakh via Demchok but route now closed as #Tibet was illegally occupied by #China where lies the holy abode of Lord Shiva & the pious lake
— Neeraj Rajput (@neeraj_rajput) September 12, 2020
कैलाश मानसरोवर के बड़े हिस्से पर भारतीय सेना नें अधिकार कर लिया है।
— Prashant Patel Umrao (@ippatel) September 13, 2020
कैलाश जाने के पुराने रास्ते पर भारत का दुबारा अधिकार।
1962 के युद्ध से पहले भारत के पास था कैलाश जाने का पुराना रास्ता।
मोदी सरकार के अंतर्गत भारतीय सेना ने जो कार्यवाही की है वो चीन को साफ़ सन्देश है की आने वाले समय में भारत अपनी जमीन के इंच इंच टुकड़े को वापस लेगा, जिसपर नेहरु की मदद से चीन या पाकिस्तान ने कब्ज़ा जमाया हुआ है